लोजी आ गये गालिब "तुषार" अपना अंदाज़ लेकर, आये है रंगो की दर्द भरी कहानी लेकर...
आर्ज किया है.... वाह वाह ना भी करोगे तो चलेगा, पर गौर से पड़ना जरूर !!
रंगा रंग है देश मेरा !!
हर एक रंगसे बना है देश मेरा !!
हर एक रंगसे बना है देश मेरा !!
इसी विविधता से ही थी पहचान मेरे देश की !!
इसी विविधता में बसा था देश मेरा !!
पहचान कुछ बदल सी गयी है मेरे देश की !!
धर्म और मजहब से रंग डाली है बुनियाद इसकी !!
धर्म और मजहब से रंग डाली है बुनियाद इसकी !!
रंगों से खिलवाड सा कर चूका है देश मेरा !!
जात पात मै बाट चूका है इन रंगों ये देश मेरा !!
जात पात मै बाट चूका है इन रंगों ये देश मेरा !!
हरा रंग था पहचान हरयाली की !!
अब बनगया पहचान मेरे मुस्लमान भाईयों की !!
अब बनगया पहचान मेरे मुस्लमान भाईयों की !!
भगवा रंग था कभी पहचान कर्तुत्व की !!
बनादिया एक बडी सी दीवार हिंदुत्व की !!
बनादिया एक बडी सी दीवार हिंदुत्व की !!
नीला कभी हुआ करता था पहचान भरोसे की !!
अब बस रहे गया बनकर पहचान खोफ की !!
अब बस रहे गया बनकर पहचान खोफ की !!
सफेद था प्रतिक शांति का !!
आज बन चूका रंग कफन का !!
आज बन चूका रंग कफन का !!
काले रंग मे हमेशा अपना साया सा नजऱ आता था !!
पता न था एक दिन ये आतंक का साया बन जाना था !!
पता न था एक दिन ये आतंक का साया बन जाना था !!
डर सा लगता है आज कल इन रंगों से !!
कहिं कौई रिश्ता ना जोड दे मेरा इस हैवानियत से !!
कहिं कौई रिश्ता ना जोड दे मेरा इस हैवानियत से !!
मैं बेरंग ही रहना चाहूंगा !!
पर अपने देश की, पहचान ना मिटने दूंगा !!
पर अपने देश की, पहचान ना मिटने दूंगा !!
मैं अकेला ही सही, लड जाऊंगा !!
पर इन रंगों में कभी ना रंग पाऊंगा !!
पर इन रंगों में कभी ना रंग पाऊंगा !!
पर इन रंगों में कभी ना रंग पाऊंगा !!